लेखनी प्रतियोगिता -07-Sep-2023
#दिनांक:- 7/9/2023
#शीर्षक:- मुरलीधर कृष्ण !
माखनचोर!
नंदकिशोर !
छलिया कहलाता !
बांसुरी की धुन पर सबको नचाता!
अनेक रूप-संग रास रचाता ,
गोपियों को भक्ति का पाठ पढ़ाता,
जिन्हें मात्र प्रेम लुभाता।
मैं भी रम जाऊँ, मदहोश युग-युगांतर सी,
राधा सी प्रीत, बस गुण गाती रहूँ मीरा सी।
कान्हा तेरी बांसुरी से रोम-रोम पुलकित,
जीवन जीवंत हो जाए आह्लादित ।
सिर्फ तेरे चरणों में सिर झुकाती हूॅ,
मुरलीधर हैं साथ,
मैं नहीं घबराती हूॅ।
भवसागर को पार,
कृष्ण कृष्ण रटते, कर जाते हैं लोग,
तेरा जन्मदिन, उत्सव सा मनाते हैं।
हे लीलापति,
अद्भुत लीलाओं के लीलाधर,
यशोदा के लल्ला,
गिरनार गिरधर ,
तेरी बलैया लेता रहे संसार ,
हर्षोल्लसित हो जन्माष्टमी का त्यौहार।
रचना मौलिक, अप्रकाशित, स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Abhinav ji
08-Sep-2023 09:46 AM
Nice
Reply
Varsha_Upadhyay
07-Sep-2023 07:30 PM
Nice 👍🏼
Reply
Gunjan Kamal
07-Sep-2023 12:25 PM
बेहतरीन प्रस्तुति
Reply